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आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2016

Anti-Terrorism Conference 2016अपने लक्ष्य को प्राप्त करना प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य और अधिकार है, लेकिन इसके लिए साधनों की पवित्रता परम आवश्यक है। हम हिंसा को किसी भी रूप में पवित्र साधन के तौर पर नहीं अपना सकते।’ निस्संदेह आतंकवाद एक गंभीर खतरा है, जो सभी राष्ट्रों के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती बन गया है। आतंकवाद भय और हिंसा पर आधारित ऐसी विचारधारा है जिसका प्रयोग राज्य/सरकार के विरुद्ध अपनी मांगों को मंगवाने के लिए संगठित रूप से किया जाता है। आज दुनिया का कोई भी शहर आतंकी हमलों से अछूता नहीं है। अमेरिका का 9/11 हो, भारत का 26/11 या फिर फ्रांस का 13/11
इन सभी घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक समग्र संकल्प लेने के लिए मजबूर किया है। आज सभी राष्ट्र आतंकवाद को वैश्विक समस्या के रूप में परिभाषित कर सामूहिक रूप से इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं और अपने स्तर पर प्रयासरत हैं। इन्हीं प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए भारत ने 2 फरवरी, 2016 को जयपुर में आतंकवाद निरोधक सम्मेलन, 2016 का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन के महत्त्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं-
  • भारत ने 2-3 फरवरी, 2016 को जयपुर में दो दिवसीय ‘आतंकवाद विरोधी सम्मेलन, 2016’ (CTC-2016) का आयोजन किया।
  • यह दूसरा आतंकवाद विरोधी सम्मेलन था।
  • राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
  • इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी डॉ. अब्दुल्ला सत्र के मुख्य वक्ता थे।
  • इस वर्ष इस सम्मेलन का विषय : ‘टेकलिंग ग्लोबल टैरर आउटफिट्स’ (Teckling Global Terror Outfits) था।
  • इस सम्मेलन का आयोजन इंडिया फाउंडेशन और सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दांडिक न्याय जोधपुर द्वारा किया गया।
  • देश-विदेश से करीब 250 प्रख्यात बुद्धिजीवियों, आतंकवाद निरोधक क्षेत्र विशेषज्ञ एवं विद्वानों ने इस सम्मेलन में भाग लिया।
  • इस सम्मेलन को 35 वक्ताओं द्वारा संबोधित किया गया।
  • आतंकवाद विरोधी सम्मेलन, 2016 मध्य-पूर्व और पड़ोसी क्षेत्रों में आतंकवादियों की कार्यप्रणाली, संसाधनों और बढ़ते आतंक के कारकों को समझने पर केंद्रित था।
  • राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2 फरवरी, 2016 को अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि दुनिया राजनीतिक कारणों को देखे बिना आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होकर कार्यवाही करें।
  • उन्होंने कहा कि कारण या स्रोत चाहे जो भी हो, आतंकवाद के औचित्य को सही नहीं ठहराया जा सकता।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीति का महत्त्वपूर्ण पहलू खुफिया सूचनाओं का संग्रह, तकनीकी क्षमताओं का विकास, विशेष बलों की स्थापना और विशेष कानूनों के निर्माण है।
  • उन्होंने कहा कि दुनिया बिना किसी भेदभाव के आतंकवाद को उसके सभी रूपों में खारिज करें और उन देशों का बहिष्कार करें जो अपनी राष्ट्रीय नीति के तौर पर आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं।
  • आतंकवादी हमले स्वतंत्रता, स्वाधीनता और सार्वभौम मातृत्व के आधारभूत मूल्यों के विरुद्ध है।
  • उन्होंने कहा कि आज केवल राजनीतिक और सैन्य रणनीतियां पर्याप्त नहीं होंगी अपितु हमें सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
  • केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आईएस-आईएस की युवा एवं शिक्षित व्यक्तियों से उनकी विचारधारा में विश्वास की अपील को चिंता का विषय बताया।
  • उन्होंने कहा कि इंटरनेट की शक्ति का दोहन करके और वैचारिक प्रोत्साहन के जरिए आतंकी समूहों ने इंटरनेट पर बम बनाने और आत्मघाती हमलों से जुड़े साहित्य की बाढ़ ला दी है जिससे मौजूदा समय में ‘डू इट योरसेल्फ’ आतंकवादियों का खतरा पैदा हुआ है।
  • इसके अतिरिक्त इस सम्मेलन में सोशल मीडिया एवं आतंकवाद, साइबर स्पेस, अवैध वीजा, अवैध हथियार-व्यापार, नशीले पदार्थों की तस्करी, नकली मुद्रा जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।