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पाकिस्तान की सिंध प्रांत की विधानसभा द्वारा हिंदू विवाह कानून पारित

Hindu Marriage Act, passed by the Assembly of Sindh province of Pakistanधार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के प्रति उदासीन पाकिस्तान के सिंध प्रांत की विधान सभा द्वारा 15 फरवरी, 2016 को हिंदू विवाह विधेयक का पारित किया जाना वैश्विक पटल पर एक सुखद आश्चर्य है। सिंध विधान सभा द्वारा पारित हिंदू विवाह विधेयक पीड़ित पाकिस्तानी अल्पसंख्यक हिंदुओं के मानवाधिकारों एवं उनके विधिक अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक लघु कदम है। पाकिस्तानी जनसंख्या का 1.6 प्रतिशत भाग के रूप में हिंदू आबादी वर्ष 1947 में पाकिस्तान की स्थापना के समय से ही विशिष्ट वैवाहिक कानून हेतु संघर्षरत थी क्योंकि इसके अभाव में पाकिस्तानी हिंदुओं के वैवाहिक संबंधों को सरकारी मान्यता नहीं थी। ऐसे में वहां के हिंदू दंपत्तियों को पाकिस्तान तथा बाहर स्वयं को वैधानिक दंपत्ति के रूप में स्थापित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इस कानून के पारित होने से सिंध प्रांत के हिंदुओं के जन्म, विवाह के पंजीकरण, तलाक तथा संपत्ति में वसीयत संबंधी नियमों व विनियमों का निर्माण संभव हो सकेगा, साथ ही पाकिस्तान में देशव्यापी स्तर पर ऐसे कानून के निर्माण की संभावना बलवती होगी।

  • 15 फरवरी, 2016 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पारित हिंदू विवाह विधेयक के निम्नलिखित प्रावधान हैं-
  • विवाह के समय वर तथा वधू की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
  • विवाह से संबंधित पक्षों को स्वीकृति आवश्यक होगी।
  • विवाह की रीतियों के संपन्न होने के समय दो गवाहों की उपस्थिति आवश्यक है।
  • वैवाहिक संस्कारों के संपन्न होने के 45 दिन के अंदर विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • विवाह के पंजीकरण के अभाव में आर्थिक दंड का भुगतान करना होगा।
  • यह कानून भूतलक्षी प्रभाव (Retrospective Effect) से लागू होगा।
  • इस कानून के पारित होने से वहां हिंदू दंपत्तियों को संयुक्त रूप से बैंक खाता खुलवाने तथा वीजा प्राप्त करने में आसानी होने के साथ-साथ संपत्ति का वसीयत करने की सुविधा होगी।
  • इस कानून के एक विवादित उपवाक्य का वहां के हिंदू समुदाय द्वारा विरोध किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत इस बात की व्यवस्था है, कि यदि विवाहित दंपत्ति में से कोई भी धर्मातंरण करता है तो ऐसी स्थिति में विवाह को रद्द माना जाएगा।
  • वहां के हिंदूओं को आशंका है कि इस उपवाक्य का सहारा लेकर वहां के इस्लामी कट्टरपंथी विवाहित महिला का बलात धर्मातंरण कराने का प्रयास करेंगे।
    राष्ट्रीय स्तर पर हिंदू विवाह कानून का प्रस्ताव पाकिस्तानी संसद में भी पारित कराने का प्रयास जारी है।