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गंगा संस्कृति यात्रा’

Ganga Culture Travelगंगा नदी भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। यह भारत की मुख्य भूमि पर बहने वाली सबसे लंबी नदी है और हिमालय के पर्वतों से बंगाल की खाड़ी तक 2,525 किमी. का प्रवाह तय करती है। गंगा नदी के किनारे 400 मिलियन लोग रहते हैं। गंगा नदी को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय विरासत घोषित किया गया है और यह देश की राष्ट्रीय नदी है। गंगा की सांस्कृतिक विविधता का पता इस बात से चलता है कि गंगा के किनारे 62 धुनें (Tunes), 254 प्रकार के गीत एवं नाटक, 122 नृत्य शैलियां, 200 शिल्प, लोक चित्रकला की 12 शैलियों और 26 भाषाएं एवं बोलियां पाई जाती हैं। हाल ही में गंगा की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने हेतु ‘गंगा संस्कृति यात्रा’ का शुभारंभ किया गया।

  • 14 फरवरी, 2016 को गंगोत्री से गंगा की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने एवं खोजने वाली ‘गंगा संस्कृति यात्रा’ का शुभारंभ किया गया।
  • 13 मार्च, 2016 को गंगा सागर में ‘गंगा संस्कृति यात्रा’ समाप्त होगी।
  • यात्रा की समाप्ति पर कपिलमुनि आश्रम, गंगा सागर में समारोह का आयोजन किया जाएगा।
  • गंगा संस्कृति यात्रा का उद्देश्य गंगा नदी की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के साथ-साथ गंगा नदी को सुरक्षित रखने और पुनर्जीवित करने के प्रति आम लोगों में जागरूकता का संदेश बढ़ाना है।
  • गंगा संस्कृति यात्रा के दौरान 262 विभिन्न स्थानों पर इस संबंध में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  • यात्रा के प्रमुख केंद्रों-गंगोत्री, हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना आदि के अतिरिक्त गंगा की सहायक नदियों एवं ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों पर समारोह आयोजित किए जाएंगे।
  • उल्लेखनीय है कि गंगा नदी अपने उद्गम से समुद्र में मिलने तक भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में प्रवाहित होती हैं।
  • वर्तमान समय में गंगा के किनारे सौ से अधिक समारोह एवं 50 प्रमुख मेलों का आयोजन किया जाता है।