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आकाश मिसाइल का सफल प्रक्षेपण

आकाशीय आक्रमण से रक्षा हेतु अभिकल्पित ‘आकाश’ प्रक्षेपास्त्र भारत के ‘एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम’ के तहत ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) द्वारा विकसित सतह से हवा में मार करने वाला, स्वदेश निर्मित प्रक्षेपास्त्र है। यह पहली ऐसी भारतीय मिसाइल है जिसके प्रणोदक में जेट सिद्धांतों का प्रयोग किया गया है। इस प्रक्षेपास्त्र का प्रथम परीक्षण वर्ष 1990 में हुआ था। यह अमेरिकी ‘पैट्रियाट’ तथा इस्राइली ‘बराक’ के सदृश प्रक्षेपास्त्र है। इसका वजन 720 किलोग्राम, लंबाई 5.78 मीटर तथा मारक क्षमता लगभग 27 से 30 किलोमीटर तक है। विमानभेदी प्रक्षेपास्त्र ‘आकाश’, ‘राजेंद्र’ रडार व सचल यंत्रों की सहायता से समानांतर रूप से अनेक लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। इसे युद्धक टैंकों से भी छोड़ा जा सकता है। यह मानव रहित विमानों, लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को निष्क्रिय करने में सक्षम है।

  • 28 जनवरी, 2016 को भारतीय वायु सेना द्वारा जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल ‘आकाश’ का सफल प्रक्षेपण एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) चांदीपुर के परिसर-3 से 11 बजकर, 2 मिनट पर किया गया।
  • यह प्रक्षेपण नियमित हवाई रक्षा अभ्यासों का हिस्सा है। इससे पूर्व 22 फरवरी, 2014 को इसका प्रायोगिक परीक्षण किया गया था।
  • आकाश मिसाइल प्रणाली में चार 3 डी ‘फेज्ड ऐरे’ (Phased Array) रडार और 12 मिसाइलों के साथ चार स्वचालित लांचर शामिल हैं, ये सभी आपस में जुड़े होते हैं।
  • संपूर्ण मिसाइल प्रणाली एक साथ अधिकतम 64 लक्ष्यों पर नजर रख सकती है तथा उनमें से 12 लक्ष्यों पर हमला कर सकती है।
  • 2.8 से 3.5 मैक की सुपरसोनिक गति से उड़ान भरने वाले आकाश प्रक्षेपास्त्र की युद्धशीर्ष वहन क्षमता 60 किलोग्राम है तथा यह लगभग 25-30 किमी. दूरी तक लक्ष्यों को भेद सकता है।
  • आकाश प्रक्षेपास्त्र ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रडार विकास प्रतिष्ठान’ द्वारा विकसित ‘राजेंद्र’ रडार की सहायता से लक्ष्यों को निशाना बनाता है।
  • ‘राजेंद्र’ रडार लक्ष्य का पता लगाकर इसे मार गिराने के लिए निर्देशित करता है।
  • उल्लेखनीय है कि ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रडार विकास प्रतिष्ठान’ डीआरडीओ की बंगलुरू स्थिति एक प्रयोगशाला है।
  • भारत के एकीकृत गाइडेड मिसाइल कार्यक्रम (IGMDP) के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा 1990 के दशक में किया गया था जिसे वर्ष 2008 में सशस्त्र बलों में शामिल किया गया।
  • मानव रहित विमानों, लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम इस मिसाइल की तुलना अमेरिकी MIM104 से की जाती है।